प्रदेशवार्ता. सीएम के कार्यक्रम में लोगों को लाने ले जाने के लिए प्रशासन ने बसों का अधिग्रहण करवाया था. इन बसों में एक पेट्रोल पंप से छह लाख का डीजल डलवाया गया. पैसा देने की बात आई तो संचालक को गोल. गोल जवाब मिलने लगे. अब वो कोर्ट गया और सारी बाते रखी तो अफसर फंस गए हैं.
दरअसल पिछले साल 3 जनवरी 24 को मुख्यमंत्री के सम्मान में जबलपुर में कार्यक्रम का आयोजन रखा गया था. इस कार्यक्रम में बस स्टैंड के करीब के ही पेट्रोल पंप से छह लाख का डीजल बसों में भरवाया गया था. गाडियों में डीजल भराने की जिम्मेदारी नगर निगम आयुक्त के जिम्मे आई थी. कलेक्टर के आदेश पर उन्होंने खाद्य अधिकारी को पेट्रोल पंप पर भी भेजा था ताकि गाडियों में डीजल डल सके. निगम आयुक्त का आदेश मानकर पंप संचालक ने सभी वाहनों में डीजल डाल दिया. इसके बाद अपने पैसों के लिए पंप संचालक ने निगम आयुक्त, संयुक्त कलेक्टर व जिला आपूर्ति अधिकारी से संपर्क किया. इसके बाद कलेक्टर कार्यालय ने निगमायुक्त को राशि भुगतान करने के संबंध में लिखित निर्देश दिए गए.
हालाकि पेट्रोल पंप संचालक को राशि का भुगतान नहीं हुआ तथा वो हाईकोर्ट चला गया. याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी सुगम चंद्र जैन की ओर से आरोप लगाया गया कि मुख्यमंत्री के सम्मान में कार्यक्रम के लिए अधिग्रहित की गई बसों में भरे गए डीजल का अब तक भुगतान नहीं किया गया है। अब इस मामले में जिला प्रशासन ही फंस गया हैं. दरअसल सरकारी धन को सीएम के आयोजन में फूंकने को ही हाईकोर्ट ने गंभीर प्रकृति का निरूपित करते हुए इस सिलसिले में जबलपुर के कलेक्टर से शपथ पत्र पर अपना जवाब प्रस्तुत करने के आदेश दिए है. मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने सवाल किया है कि किस कानून में यह प्रविधान है कि मुख्यमंत्री के सम्मानार्थ आयोजित कार्यक्रम के लिए निगमायुक्त बसों में डीजल भरवाएं।
