प्रदेशवार्ता. जिले और शहर के अंदर जो निजी क्लिनिक चल रहे हैं उनमें बडी संख्या फर्जी डाक्टरों की हैं. ये डाक्टर लोगों को इंजेक्शन भी लगा रहे, दवाई भी अपनी तरफ से दे रहे. स्वास्थ्य विभाग में जब नवागत सीएमएचओ बनकर डा. सरोजनी जेम्स बेक आई थी तो उन्होंने धडाधड फर्जी क्लिनिक खुद भी चेक किए थे और स्वास्थ्य विभाग के अमले को भी मैदान में उतार दिया था. तब ही देवास में एक दसवीं पास युवक भी क्लिनिक चलाते हुए पकडाया था. जिले में बागली घाट नीचे तो डर के मारे कई फर्जी डाक्टर कुछ दिन के लिए भूमिगत हो गए थे. स्वास्थ्य विभाग की थोडे दिन की ही कार्यवाही में ये साफ हो गया था कि बिना मान्यता के फर्जी क्लिनिक जिले में बडी संख्या में संचालित है जो लोगों की जान को जोखिम में डाल रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग की ये सक्रियता महज कुछ दिन ही रही. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की मंशा पर सवाल उठते हैं. आखिर क्यों चेकिंग के इस अभियान को ठंडे बस्ते में डाला गया. अगर शहर की ही बात की जाए तो कम से कम हर वार्ड में ऐसे दो से तीन क्लीनिक मिल ही जाएंगे जो फर्जी हैं. शहर के 45 वार्डों को जोडकर ये आंकडा 100 पर चला जाता हैं. होना तो ये चाहिए की किसी की हिम्मत ही नहीं हो ऐसे क्लिनिक चलाने की, लेकिन मानिटरिंग नहीं होने से हौसले बुलंद हैं.
