प्रदेश वार्ता। इंदौर में भीख मांगने वालों के खिलाफ जिला प्रशासन ने अभियान चला रखा हैं. अलग. अलग क्षेत्रों में रेस्क्यू कर भीखारियों को पकडा गया. हालाकि ऐसे अभियान की जरूरत अब हर शहर में हैं. भीख मांगना एक पेशा बना लिया गया हैं. धार्मिक स्थलों के बाहर एक बडा हुजूम भिखारियों का मिल जाएगा. इंदौर में अभियान चलाकर अभी तक 323 भिखारियों को उज्जैन के सेवाश्रम में भेजा गया हैं. आश्रम में सभी को शपथ दिलाई गई कि वे आगे से भीक्षावृत्ति नहीं करेंगे. इन सभी को बांड भरवाकर छोडा जाएगा. इंदौर में 75 हजार रुपए सप्ताह की कमाई करने वाली महिला भी लाई गई हैं. वहीं अन्य भिक्षावृत्ति करने वालों की भी अपनी कहानी हैं जो बताती है कि पेशवर भीख मांगते मांगते इन्होंने खूब आर्थिक तरक्की भी कर ली. ऐसे ही एक महिला कलाबाई गुर्जर को भी इंदौर से रेस्क्यू कर उज्जैन के आश्रम में लाया गया है. कलाबाई रोजाना 600 से 700 रुपए कमा लेती थी. दो बेटे एक बेटी की शादी काफी धूमधाम से करी. कुछ पैसा बचाकर उज्जैन के उन्हेल में 10 बीघा खेती की जमीन भी खरीदी. आर्थिक रूप से खुद को मजबूत बनाया. वहीं एक कहानी पूनम वर्मा की भी सामने आई, पूनम इंदौर के राजबाडा क्षेत्र में भीख मांगती थी, कमाई के मामले में ये क्षेत्र फल गया और महीने की कमाई 2500 हजार के ऊपर पहुंच गई. ज्यादा कमाई ने गलत रास्ता भी बता दिया और पूनम को नशे की आदत हो गई जिस पर महीने का खर्च 15 हजार रुपए आता है, हालाकि वे अब नशा छोडना चाहती है तथा इसके लिए कोशिश भी कर रही हैं, भविष्य में अब वे भीख नहीं मांगना चाहती. आश्रम के सेवादार इनकी देखभाल कर रहे हैं, वे भी चाहते है कि यहां आए लोग अब भीख मांगना बंद करे.
