दिल्ली यूनिवर्सिटी के गणित विभाग हेतु Sc/St वर्ग का PHD प्रवेश परीक्षा की कट ऑफ शून्य पर भी क्वालीफाई हुआ बताया जा रहा है। वैसे तो मैं भी sc वर्ग से आता हूं मेरा net के माध्यम से 70 पर्सेंटाइल के साथ क्वालीफाई हुआ है और 50 प्रतिशत से कम पर तो छात्र अमान्य अथवा अयोग्य हो जाते हैं चाहे आप sc, st, obc, ews किसी भी वर्ग से हों फिर डीयू का यह प्रवेश शून्य में कैसे?
हां! रिजर्वेशन हॉरिजॉन्टल और वर्टिकल दो तरीके से लागू किया जाता है इसीलिए शून्य भी संभव है। लेकिन एक बात जेहन में उतार लें कि यह न तो आरक्षण की कमी है और न ही आरक्षित वर्गों की गलती। रिज़र्वेशन पॉलिसी में ऐसा कहीं भी दर्ज नहीं है कि शून्य में भी किसी व्यक्ति को योग्य समझा जाय। इसीलिए शैक्षिक योग्यता में भी 33 प्रतिशत का प्रावधान है। बाकी यह सब निर्भर करता है आज की संस्थाओं, सरकारों पर।
इससे भी बड़ा आश्चर्य आपको मैनेजमेंट सीटों पर होगा जहां रिजर्वेशन भी लागू नहीं होता और नंबर भी मायने नहीं रखते बस आपके पास यदि पैसे हैं तो आप किसी भी जाति, धर्म व एक खास बात कि किसी भी देश से हों मैनेजमेंट कोटे से आपका प्रवेश हो जायेगा और प्रत्येक संस्थान में यह भर्ती दशकों से एक बड़ी संख्या में होती आई है। इसीलिए आपको समझना होगा कि यह गलतियां नीतियों में नहीं पदों में बैठे लोगों द्वारा की जाती है।
अंत में यह कि क्या सभी छात्रों के लिए यह संभव है कि सबके ही शून्य अंक आए? वह भीअपने ही विषय में? हाईस्कूल, इंटर, ग्रेजुएशन और पेस्ट ग्रेजुएशन पास करने के बाद भी सभी आरक्षित वर्गों के लिए भी एक मानक तय हैं तो शून्य क्यों? यदि यह संभव है तो यह वाकई एक अलग ही चमत्कार है? बहरहाल! शून्य पर प्रवेश अनैतिक है और मैं इसका खुला विरोध करता हूं। कॉपी रिचेक हो तथा ऐसे प्रवेश अमान्य हो। हर अनैतिकता का पुरजोर विरोधी हूं। #आरपीविशाल
